गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />मन बिन गुरु-कृपा कें, निश्छल कहां होता है-२,<br />बिन नजरें-करम जीवन, उज्जवल कहां होता है-२,<br />बिन रहमतं सतगुरु की, निश्चय कहां आता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />गुरु-कृपा जीवन की,पीड़ा हर लेती है-२,<br />और नाम की दौलत सें,झोली भर देती हैं-२,<br />फिर सहज अवस्था कों, सेवक पा जाता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />हर जन्म में सेवक कें,निगरान वों होतें है-२,<br />हर जन्म में अर्जुन कें,रथवान वो होतें है-२,<br />जों शरणं में आता है,रणं जीत के जाता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />प्रभु भाग्य जगातें है, गुरु सन्त मिलाते है-२,<br />पर नर सें नारायण, गुरुदेव बनातें है-२,<br />सेवक-जन जड़-पत्थर, सतगुरु र्निमाता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />शुभ-रुहों कों दासां, गुरुदेव जगातें है-२,<br />जब उचित समय आता,चरणों सें लगातें है-२,<br />लोहा भी छूं करकें,पारस बन जाता है-२,<br />सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,<br />गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,<br /><br />श्री सतगुरु देवाय नमः<br />सभी प्यारें गुरुमुखों को<br />सप्रेम जय गुरां दी जय सचिदानंद जी<br />